इन मानसून में वायरल बुखार से कैसे निपटें
वायरल बुखार का अर्थ है वायरल संक्रमण की प्रचुरता, जो शरीर का सामान्य तापमान बढ़ा देता है। कमज़ोर प्रतिरोधी क्षमता की वजह से ये बच्चों और वृद्धों की आम बीमारी है। वायरल बुखार के मरीज शरीर में दाने, बदन दर्द और सिर दर्द जैसी परेशानियों से पीड़ित रहते हैं। वायरल बीमारी के इलाज के लिए दवाएं उपलब्ध हैं। कुछ मामलों में घरेलू दवाएं भी कारगर साबित होती हैं।
वायरल बुखार के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं:
शुरुआत करते हैं कारणों से। कारण जान लेने पर वायरल बुखार दूर रखने में आसानी हो जाती है।
जैसा नाम से ही पता चलता है, जब बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में दूसरा व्यक्ति आता है तो उसे भी वायरल बुखार हो जाता है। इस प्रक्रिया को समझना ज़्यादा आसान है। एक नज़र डालते हैं वायरल बुखार फैलानेवाली वैसे आम कारणों पर जिनसे आमतौर पर लोग अंजान रहते हैं।
जब कोई बीमार खांसता है, जम्हाई लेता है, छींकता है, या बोलता है तो उसके मुंह से तरल की बेहद छोटी बूंदें निकलती हैं, जिनमें बैक्टीरिया या वायरस होता है। अगर आप उस व्यक्ति के करीब खड़े हैं तो ये बैक्टीरिया आपके शरीर में नाक या मुंह के रास्ते प्रवेश कर जाता है और आप भी बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। एक बार बीमारी के ग्रस्त होने के बाद उसे उभरने में 16 से 48 घंटे लगते हैं
अब देखते हैं कि वायरल बुखार के क्या लक्षण होते हैं:
चुंकि वायरल बुखार के लक्षण कई अन्य बीमारियों के लक्षण जैसे होते हैं, आपके लिए इस बीमारी के विशेष लक्षण जानना आवश्यक है, ताकि वायरल बुखार और दूसरी बीमारियों के बीच फर्क करना आसान हो जाए। आपको शरीर के उच्च ताप की जांच करनी है, जो निम्नलिखित वजहों से हो सकते हैं:
- नियमित अंतराल पर होनेवाले बुखार
- कंपकंपी के साथ बुखार आना
- दवाओं के इस्तेमाल से भी बुखार कम ना होना
- लम्बे समय तक बुखार रहना
बुखार के कुछ और लक्षण हैं जोड़ों के पास दर्द होना, शरीर में दाने निकलना, चेहरा फूल जाना और उल्टियां होना। आप आपमें ऐसे कोई भी लक्षण मिलते हैं तो फौरन अपने डॉक्टर के पास जाएं।
बीमारी का पता लगाना:
आपके डॉक्टर आपमें पाए गए लक्षणों की जांच करेंगे और बीमारी के बारे में एक नतीजे पर पहुंचेंगे। हालांकि कुछ मामलों में डॉक्टर खून की जांच कराने को भी कह सकते हैं, ताकि टायफाइड, डेंगी, मलेरिया, चिकनगुनिया इत्यादि बीमारियों की आशंका दूर हो सके।
खून की जांच वैसी स्थितियों में भी कराई जा सकती है, जब आपके डॉक्टर को कारणों की जैविक संरचना में फर्क जानना होता है। सामान्य शब्दों में कहें तो आपके डॉक्टर ये जानना चाहते हैं कि बुखार की वजह बैक्टीरिया है या वायरस।
इलाज:
अगर आपको बुखार हो गया है तो पूरी तरह आराम करें। जब तक ठीक नहीं हो जाते, गर्म और तरल भोजन, जैसे सूप और खिचड़ी खाएं। अगर आपको तेज बुखार और शरीर में दर्द हो रहा हो, तो अपने डॉक्टर को फौरन दिखाएं।
हमारी सलाह है कि बीमार होने पर खुद बुखार दूर करनेवाली दवा, एंटीबायोटिक दवा और दर्द दूर करनेवाली दवाएं ना लें। आपके लिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि वायरल बुखार में एंटीबायोटिक दवाएं किसी काम की नहीं होतीं। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियां को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, वायरस दूर करने के लिए नहीं; लिहाजा ऐसी दवाएं लेने पर बिना मतलब एसिडिटी और पेट की बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं।
ये सुनिश्चित करें कि बीमारी से बेहतर महसूस करने के बावजूद आप डॉक्टर की दी गई दवा का कोर्स पूरा करें। दवा के कोर्स के बीच में ही एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देने पर बेक्टीरिया प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं हो पाती। इससे आपके और आसपास के लोगों के एक बार फिर बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्सा – रोकथाम
हम लोगों को डराने की कोशिश नहीं कर रहे, बल्कि व्यक्तिगत रूप से सफाई पर ध्यान देने की सलाह दे रहे हैं। ऐसे कुछ सामान्य उपायों से बीमारियों से दूर रहा जा सकता है, मसलन-
- डिटॉल लिक्विड हैंडवॉश जैसे कीटाणु नाशक से हाथ-बार-बार धोएं।
- भीड़-भाड़ से दूर रहें और डिटॉल मल्टी यूज़ वाइप हर वक्त अपने साथ रखें।
- बिना हाथ धोए अपना चेहरा, मुंह और नाक छूने से बचें।
दूसरी महत्त्वपूर्ण बात ये है कि अगर आपको वायरल बुखार हुआ है तो जब भी खांसी, जम्हाई या छींक आए अपना मुंह रुमाल से ढंक लें।